स्वास्थ्य राज्यमंत्री श्री महेन्द्र हार्डिया ने बताया
नई दवा नीति एक अगस्त, 2010 से पूरे प्रदेश में लागू हो जायेगी। इस आशय के आदेश जारी कर दिये गये हैं। लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा एवं आयुष राज्यमंत्री श्री महेन्द्र हार्डिया ने यह जानकारी देते हुए बताया कि नई दवा नीति के लागू होने के बाद प्रदेश में दवाओं की उपलब्धता और उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित हो सकेगी।
स्वास्थ्य राज्यमंत्री श्री महेन्द्र हार्डिया ने बताया कि 11 सितम्बर, 2009 को बनी नई दवा नीति के अनुसार प्रदेश में औषधि, सर्जिकल सूचर्स उपकरणों और अन्य चिकित्सकीय सामग्री के क्रय की प्रक्रिया तय करने तथा एजेंसी और उनकी दरें निर्धारित करने के लिये तमिलनाडु मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन के माध्यम से सम्पूर्ण कार्यवाही की गई।इस कार्यवाही के बाद अब एक अगस्त से नई दवा नीति के तहत प्रदेश के सभी 50 जिलों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सिविल सर्जन, गैस राहत अस्पतालों तथा मेडिकल कॉलेज सहित 118 चिकित्सा संस्थाओं में दवाओं का क्रय किया जायेगा।
स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने बताया कि नई दवा नीति के तहत 201 ऐसी दवाओं को सूचीबद्ध किया गया है जो दिन-प्रतिदिन रोगियों के उपचार में उपयोग होती हैं और इससे लगभग 96 प्रतिशत बीमारियां कवर होती हैं। इसके अतिरिक्त अगर अन्य रोगों के लिये दवाओं की आवश्यकता है तो इसके लिये सक्षम अधिकारियों को यह अधिकार दिये गये है कि वे स्थानीय स्तर पर निविदा के आधार पर दवा क्रय कर रोगियों को उपलब्ध करायें।
नई दवा नीति के तहत 80 प्रतिशत बजट का उपयोग जिले के अधिकारी करेंगे जबकि 20 प्रतिशत बजट विशेष परिस्थितियों में मुख्यालय स्तर पर व्यय किया जायेगा। नई दवा नीति के तहत ऐसे दवा निर्माताओं को टी.एम.एन.एस.सी. चैन्नई के माध्यम से चिन्हित किया गया है जिनके पास आई.एस.ओ. का सर्टिफिकेशन है और वे गुड मेनीफैक्चरिंग प्रेक्टिसेज का पालन करते हैं। उन्हीं दवा निर्माताओं की निविदाएं स्वीकार की गई हैं। निविदा प्राप्त होने के बाद सभी दवा फैक्ट्रियों का निरीक्षण एवं सत्यापन ड्रग इंस्पेक्टर्स के माध्यम से किया गया है। निविदा, दवाओं की सूची तथा दवा से क्रय संबंधित सभी जानकारी विभाग की वेबसाइट www.health.mp.gov.in पर जारी कर दी गई है।
नई दवा नीति के तहत 80 प्रतिशत बजट का उपयोग जिले के अधिकारी करेंगे जबकि 20 प्रतिशत बजट विशेष परिस्थितियों में मुख्यालय स्तर पर व्यय किया जायेगा। नई दवा नीति के तहत ऐसे दवा निर्माताओं को टी.एम.एन.एस.सी. चैन्नई के माध्यम से चिन्हित किया गया है जिनके पास आई.एस.ओ. का सर्टिफिकेशन है और वे गुड मेनीफैक्चरिंग प्रेक्टिसेज का पालन करते हैं। उन्हीं दवा निर्माताओं की निविदाएं स्वीकार की गई हैं। निविदा प्राप्त होने के बाद सभी दवा फैक्ट्रियों का निरीक्षण एवं सत्यापन ड्रग इंस्पेक्टर्स के माध्यम से किया गया है। निविदा, दवाओं की सूची तथा दवा से क्रय संबंधित सभी जानकारी विभाग की वेबसाइट www.health.mp.gov.in पर जारी कर दी गई है।
नई दवा नीति की सम्पूर्ण जानकारी का एक ड्रग प्रेक्योरमेंट मेन्युअल बनाया गया है जो सभी संभागीय संयुक्त संचालकों के माध्यम से सभी 118 चिकित्सा संस्थाओं को दिया गया है। इसमें नई दवा नीति के तहत सम्पूर्ण क्रय प्रक्रिया, नियम और समय-सीमा की जानकारी संकलित की गई है।
नई दवा नीति के तहत प्रत्येक प्रदायकर्ता, दवा निर्माता के लिये यह बंधनकारी होगा कि वह आदेश मिलने पर दवा प्रदाय करने के पूर्व दवा की गुणवत्ता का परीक्षण कर उसका प्रमाण-पत्र दवा प्रदाय के साथ संबंधित संस्था को भेजेंगे। संबंधित संस्था प्रभारी दवा प्राप्त होने के उपरांत तीन दिन के अंदर प्राप्त दवाओं की गुणवत्ता परखने के लिये अपने स्तर पर लेबोट्री में टेस्टिंग के लिये भेजेंगे। उसकी रिपोर्ट प्राप्त होने पर ही दवा निर्माता के भुगतान की कार्यवाही की जायेगी।
नई दवा नीति के तहत चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जेनरिक नाम की दवाएं ही क्रय कर रोगियों को उपलब्ध करायेंगे। दवाओं की गुणवत्ता प्रमाणित होने के कारण ये दवाएं ब्राण्डेड दवाओं के समकक्ष होंगी और रोगियों के लिये उतनी ही असरकारी होंगी।
नई दवा नीति के तहत चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जेनरिक नाम की दवाएं ही क्रय कर रोगियों को उपलब्ध करायेंगे। दवाओं की गुणवत्ता प्रमाणित होने के कारण ये दवाएं ब्राण्डेड दवाओं के समकक्ष होंगी और रोगियों के लिये उतनी ही असरकारी होंगी।
नई दवा नीति को ऑनलाइन किया गया है। इसके लिये ड्रग डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम बनाया गया है, जिसके माध्यम से मुख्यालय, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक सहित सभी संबंधित संस्थाएं ऑनलाइन होंगी, जिसके माध्यम से दवाओं की उपलब्धता, उसकी प्रदायगी, आदेश पत्र, दवा की गुणवत्ता आदि सभी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी और उसकी निरंतर मॉनीटरिंग की जा सकेगी।
दवाओं की उपलब्धता के लिये दिन-प्रतिदिन के आधार पर आवश्यकता और मांग का आकलन किया जायेगा, जिसके अनुसार दवाओं के क्रय आदेश जारी होंगे। इससे जहां दवाओं का पूर्णत: सदुपयोग हो पायेगा और उनके एक्सपायर होने की संभावना भी नगण्य हो जायेगी।
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